What exactly Slip disc and its treatment?
स्लिपडिस्क क्या है?
रीढ़ की हड्डियां आपस में एक दुसरे से एक गद्दी से जुडी होती है,जिसे हम डिस्क कहते है!इसमें एक प्रकार का लचीला पदार्थ होता है ,जो हमें झटको से बचता है !जब कभी डिस्क में कोई नुकसान होता है तो ये पदार्थ लीक हो कर नस पर गिरता है तो नस में दबाव होता है जिसके कारन हाथ या पैरो में सुनापन झनझनाहट खिचाव इत्यादि होते है !इस प्रकार से डिस्क का मटेरियल नस पर दबाव डालता है जिसे स्लिपडिस्क कहते है.!अक्सर लोग बाग़ समझते डिस्क एक हड्डी से दूसरे हड्डी पे स्लिप या फिसल गयी जिसको आम इंसान स्लिपडिस्क कहता है !वास्तव में रीढ़ की हड्डी के बीच का पदार्थ रिसकर नस पर दबाव लगता हैऔर मरीज़ विभिन्न लक्ष्ण दिखाए देते है मुख्यता L4-5 or L5-S1 या C 5-6 LEVEL पर MRI में नज़र आता है
Stages of Slipped Disc
Diffuse Bulge-
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, डिस्क का निर्जलीकरण शुरू हो जाता है जिससे उसका लचीलापन कम हो जाता है और वह कमज़ोर हो जाती है।डिस्क का कुछ भाग बहार निकल जाता है जिसे डिफ्यूज bulges कहते है
Protrusion-
समय के साथ डिस्क की रेशेदार परत में दरारें आने लगती हैं जिससे उसके अंदर का द्रव या तो बाहर आने लगता है या उससे बुलबुला बन जाता है।इसको Annular Tear कहते है
Extrusion-
इस चरण में न्यूक्लिअस का एक भाग टूट जाता है परन्तु फिर भी वह डिस्क के अंदर ही रहता है।इसको एक्सट्रुडेड Extruded डिस्क कहते है
Sequestration-
अंत में, डिस्क के अंदर का द्रव (न्यूक्लियस पल्पोसस) कठोर बाहरी परत से बाहर आने लगता है और रीढ़ की हड्डी में उसका होने लगता है।और स्पाइनल कैनाल में अलग से गिर जाता है इसको सेक्वेस्ट्रेटेड डिस्क [Sequestrated Disc] कहते है
स्लिप डिस्क के जोखिम को बढ़ने वाले कारण ?
Age group-
35 से 50 वर्षों के बीच की उम्र के लोगों को स्लिप डिस्क होने की संभावनाएं अधिक होती हैं।
Sex-
महिलाओं की तुलना में पुरुषों को स्लिप डिस्क का जोखिम लगभग दुगना होता है।
Weight-
शरीर का ज़्यादा वज़न आपके शरीर के निचले हिस्से में डिस्क पर तनाव का कारण बनता है।
Profession-
जिन व्यवसायों में शारीरिक क्षमता की ज़्यादा आवश्यकता होती है, उन लोगों को स्लिप डिस्क होने का जोखिम ज़्यादा होता है।
Slipped Disc Symptoms
स्लिप डिस्क के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं –
* शरीर के एक तरफ के हिस्से में दर्द या स्तब्धता [सुन्नपन होना।
* आपके हाथ या पैरों तक दर्द का फैलना[radiculopathy]रात के समय दर्द बढ़ जाना या कुछ गतिविधियों में ज़्यादा दर्द ,
* Standing posture खड़े होने या बैठने के बाद [after sitting]दर्द का ज़्यादा हो जाना।
* थोड़ी दूरी पर चलते समय दर्द होना[claudication]
* अस्पष्टीकृत मांसपेशियों की कमज़ोरी[myopathy]
* प्रभावित क्षेत्र में झुनझुनी, दर्द या जलन[burning]
दर्द के प्रकार व्यक्ति से व्यक्ति भिन्न हो सकते हैं। यदि आपको दर्द से स्तब्धता या झुनझुनी होती है जो आपकी मांसपेशियों को नियंत्रित करने की क्षमता को प्रभावित करता है तो अपने चिकित्सक से सलाह लें।इसके लिए कोई इंटरवेंशनल पैन फिजिशियन या न्यूरोसर्जन या स्पाइन स्पेशलिस्ट से परामर्श करे !
स्लिप डिस्क के मुख्य तीन कारण हैं –
Degenerative changes-
हमारी पीठ हमारे शरीर के भार को बांटती है और रीढ़ की हड्डी में मौजूद डिस्क अलग-अलग गतिविधियों में लगने वाले झटकों से हमें बचती हैं इसीलिए वे समय के साथ कमज़ोर हो जाती हैं। डिस्क की बहरी कठोर परत कमज़ोर होने लगती है जिससे उसमें उभार आता है जिससे स्लिप डिस्क हो जाती है।
Trauma-
स्लिप डिस्क चोट लगने की वजह से भी हो सकती है। अचानक झटका या धक्का लगना या किसी भारी वस्तु को ग़लत ढंग से उठाने के कारण आपकी डिस्क पर असामान्य दबाव पड़ सकता है जिससे स्लिप डिस्क हो सकती है।
Mechanical pressure-
ऐसा भी हो सकता है कि उम्र के साथ आपकी डिस्क का क्षरण इतना अधिक हो गया हो कि हलके से झटके (जैसे कि छींकना) के कारण भी आपको स्लिप डिस्क हो जाए।
Precaution and Safety of Slipped Disc
* वज़न उठाने के लिए सही तकनीक का उपयोग करें।
* खाली झुकने या टेढ़े बैठने से ही पीठ दर्द नहीं हो सकता लेकिन यदि पीठ पर चोट आई है तो गलत तरीके से बैठने से दर्द और बढ़ सकता है।
* खड़े होने या चलने के दौरान अपने कान, कंधों, और कूल्हे एक सीधी रेखा में रखें।
* बैठने पर अपनी पीठ को सुरक्षित रखें। अपनी पीठ और कुर्सी के बीच एक छोटा तकिया या तौलिये को गोल करके रखें।
* नींद में अपनी पीठ को सही स्थिति में रखें। एक तरफ सोते समय घुटनों के बीच एक तकिया रखें।
Diagnosis of Slipped Disc
शारीरिक जाँच[physical examination]- आपकी अनैच्छिक गतिविधियां, मांसपेशियों की मज़बूती, चलने की क्षमता और महसूस करने की क्षमता जांचने के लिए शारीरिक जाँच।
एक्स-रे (X-ray)- खली एक्स-रे स्लिप डिस्क का निदान नहीं कर पाते हैं, लेकिन यह जांचने के लिए कि किसी अन्य वजह जैसे हडडी का फ्रैक्चर ,डिस्लोकेशन से पीठ दर्द नहीं है, एक्स-रे का इस्तेमाल किया जाता है।लईकिन xrays में disc या नस कभी भी नज़र नहीं आतीहै
सीटी स्कैन (CT Scan)- एक सीटी स्कैनर कई अलग-अलग दिशाओं से एक्स-रे की एक श्रृंखला लेता है और उन्हें जोड़कर स्लिप डिस्क का निदान करता है।यह एक पूर्ण समाधान नहीं है
एमआरआई (MRI)- इसमें रेडियो तरंगों और एक मजबूत चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग करके आपके शरीर की आंतरिक संरचनाओं की छवियां बनाई जाती हैं। इस टेस्ट का उपयोग स्लिप डिस्क के स्थान की पुष्टि करने के लिए किया जा सकता है और यह देखने के लिए कि तंत्रिका किस प्रकार प्रभावित हो रही है। यदि प्रकार की शंका हो तो contrast mri एक अच्छा विकल्प है
मयेलोग्राम (Myelogram)- इसमें एक डाई को रीढ़ की हड्डी के तरल पदार्थ में इंजेक्ट किया जाता है और फिर एक्स-रे लिए जाते हैं। यह परीक्षण आपकी रीढ़ की हड्डी या नसों पर स्लिप डिस्क के कारण दबाव दिखा सकता है
स्लिप डिस्क का इलाज – Slipped Disc Treatment
स्लिप डिस्क का उपचार आमतौर पर आपकी असुविधा और अनुभव के स्तर पर निर्भर करता है।
* अधिकांश लोग चिकित्सक द्वारा बताये गए ऐसे व्यायाम करके स्लिप डिस्क के दर्द को सुधार सकते हैं जो पीठ और आस-पास की मांसपेशियों को मज़बूत बनाते हैं।
* केमिस्ट के पास मिलने वाली दर्द निवारक गोलियां लेने से और भारी चीज़ें न उठाने से स्लिप डिस्क के दर्द में राहत मिल सकती है।लेकिन यह समझदारी नहीं है
* यदि दर्द निवारक गोलियां आपके लक्षणों पर प्रभाव नहीं डालती हैं तो आपके डॉक्टर आपको कोई अन्य दवाएं लेने के लिए भी कह सकते हैं। जैसे- मांसपेशियों के ऐंठन को राहत देने के लिए दवाएं; muscle relaxants दर्द को दूर करने के लिए analgesics or pregablin- गाबापेंटीन (Gabapentin) या ड्युलोकसेटाईन (Duloxetine) जैसी तंत्रिका के दर्द के लिए दवाएं।
* अगर आपके लक्षण 6 सप्ताह में नहीं सुधरते या आपकी मांसपेशियों की गतिविधियों पर स्लिप डिस्क का प्रभाव पड़ता है तो आपके डॉक्टर आपको सर्जरी का उपाय भी दे सकते हैं। आपका स्पाइन सर्जन पूरे डिस्क को हटाए बिना केवल डिस्क के क्षतिग्रस्त भाग को निकाल सकता है। इसे माइक्रोडिसकेक्टमी (Microdiskectomy) or endoscopic discectomy कहा जाता है।अधिक गंभीर मामलों में, आपका डॉक्टर एक आपकी पहले वाली डिस्क को बदल कर एक कृत्रिम डिस्क लगा सकते हैं या डिस्क को निकालकर कशेरुकाओं को एक साथ मिला सकते हैं।जिसको fusion surgery कहते है
मिनिमल इनवेसिव तकनीक -इसमें मरीज़ को परमपरागत तरीके के बजाय छोटा सा चीरा जो की कुछ मिलीमीटर हो सकता है,अन्य ऑपरेशन के बजाय इसमें बेहोश भी नहीं करना पड़ता,लोकल एनेस्थीसिया xylocaine २%,स्किन को सुन्नन कर के नीडल को फ्लूरोस्कोपे में देखते हुए ,डिस्क वाली जगह पंहुचा जाता है,इसको निश्चित करने के लिए contrast इंजेक्शन डाला जाता है,इसके कारन डिस्क का रंग change हो जाता है ,फिर इसके बाद वायर जो की गाइड का काम करता है,ऊपर dilator sheath चढाई जाती है,फिर एण्डोस्कोप डाल कर रीढ़ के स्थान को देखा कर सम्बंधित खराबी को सही किया जाता है!
मिनिमल इनवेसिव तकनीक के फायदे-
* इसमें किसी प्रकार का चीरा नहीं लगता ! मिलीमीटर के छेद से सारा प्रोसीजर हो सकता है
* लोकल एनेस्थीसिया या एपिडरल में सारा प्रोसीजर जाता है
* हॉस्पिटल में 24 घंटे रुकना होता है,
* मरीज़ अपने आप कुछ घंटो में अपना नित्य कर्म जैसे उठना बैठना चलना ,खाना पीना शुरू कर देता है.
* लम्बे समय तक किसी प्रकार की दर्द निवारक इंजेक्शन या टेबलेट्स खाने की जरुरत नहीं रहती
* साथ ही किसी प्रकार की एक्सरसाइजेज की जरुरत नहीं रहती
स्लिपडिस्क में क्या सावधानी रखे –
* ज्यादा लम्बे समय तक दवाई प्रयोग में न ले,
* अवांछनीय कसरत न करे
* उकडू या पालती न करे
* शौच वेस्टर्न स्टाइल का प्रयोग करे
* ज्यादा वज़न न उठाये
* ऑफिस या काम पर अपने बैठने का posture का ध्यान रखे