Neck Pain ( गर्दन दर्द )
गर्दन का दर्द अाजकल एक आम समस्या है। चिकित्सा के क्षेत्र मे इसे सर्वाइकल पेन कहतें हैं। अधिक समय तक कुर्सी पर बैठने वाले लोग इस समस्या से अधिक सामान्य रूप से जूझ रहे हैं। हालांकि यह एक सामान्य रोजमर्या कि परेशानी है परन्तु फिर भी इसे अनदेखा करना भविष्य में अनेक जटिल शारीरिक समस्याओं को आमंत्रित कर सकता है। इसलिए इसका इलाज किया जाना आवश्यक है। चूँकि यह सामान्य शारीरिक समस्या है अतः प्रत्येक व्यक्ति के लिए इससे जुडी सामान्य बातों को जान लेना आवश्यक है।
लक्षण:-
- गर्दन के दर्द के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं:-
- सिर का काफी समय तक एक ही मुद्रा रखा होने पर गर्दन में दर्द होना।
- सिर में दर्द होना (यदि स्पाइनल पेन के अन्य लक्षण हैं तो)।
- यदि रोजमर्या में सिर हिलाने में परेशानी हो।
- गर्दन के आसपास के क्षेत्र की माँसपेशियों में अकडन हो।
- हाथ, पैर व पैर के तलवों का सुन्न पड जाना।
- गर्दन में गाँठ बनना; स्पाइनल पेन के लक्षण हो सकतें हैं।
इन लक्षणों के होने पर विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है।
कारण:-
गर्दन का दर्द एक अाम परेशानी है और इसके होने के कारण भी व्यक्ति के रोजमर्या के जीवन से जुडे हुए हैं।हालांकि इसके कारणो को लेकर स्पष्ट रूप से कुछ भी कहना सम्भव नहीं है परन्तु सामान्य तौर पर निम्न कारण देखे गये हैं:-
- किसी भी प्रकार से चोट लगना गर्दन के दर्द के अहम् कारणो मे से एक है।
- बहुत समय तक गर्दन को एक ही मुद्रा में रखे रहना तथा गलत तरीके से सोना इसके प्रमुख कारणों में से एक है।
- यदि किसी व्यक्ति की हड्डियाँ कमजोर हैं तो वह स्पाइनल पेन का कारण बन सकती हैं।
- यदि व्यक्ति अर्थराइटस जैसी बिमारी से पीडित हो तो।
- आम जीवन में बढता तनाव।
- गलत तरीके से आसन करना। तथा
- मोटापा स्पाइनल नेक पेन के प्रमुख कारण हो सकते हैं
गर्दन के दर्द का पता कैसे लगायें:-
गर्दन के दर्द का समय पर पता करना जरूरी है क्योंकि बाद में यह गम्भीर रूप ले सकता है और पीडित के लिए समस्या खडी कर सकता है। दर्द का पता सही समय पर चल जाये तो उपचार भी शीघ्र ही किया जा सकता है।
वर्तमान में चिकित्सा क्षेत्र में लन्नतशील विकास के चलते दर्द का पता चलना आसान हो गया है। एक्स-रे, सी.टी.स्केन, एम आर आई, ईएमजी एवं ब्लड टेस्ट इसके सर्वाधिक कारगर तरीकें हैं।
एक्स-रे:-
एक्स-रे गर्द के दर्द का पता लगाने के आसान तरीकों में से एक है। इससे दर्द की सटीक जगह का पता लगाया जा सकता है जिससे कि इलाज में आसानी हो।
सी.टी.स्केन:-
सी.टी.स्केन गर्दन के दर्द का पता लगाने के कारगर तरीकों में से एक है। यह गर्दन के अंदरूनी हिस्से को मोनीटर करता है और दर्द की सही जगह व गम्भीरता का पता लगाता है।
एम.आर.आई.:-
एम आर आई (Magnatic rasonance imaging) गर्दन के दर्द का पता लगाने के लिए एक अन्य तरीका है।
ई.एम. जी:-
इसे इलेक्ट्रोमासोग्राफी के नाम से भी जाना जाता है। यदि गर्दन के दर्द का कारण किसी नस से है तो उसका पता ई.एम.जी द्वारा किया जा सकता है।
खून की जाँच:-
खून की जॉच अर्थात ब्लड टेस्ट के जरिये भी दर्द का पता लगाया जा सकता है। इसके जरिये गर्दन की अंदरूनी सूजन का पता लगाया जा सकता है।
गर्दन के दर्द का इलाज:-
हालांकि गर्दन के दर्द के लक्षण प्रत्यक्ष होने पर डॉक्टर की सलाह अनुसार ही कोई कदम उठाए जाने चाहिये परन्तु प्राथमिक उपचार के तौर पर निम्न कार्य किये जा सकते हैं:-
सबसे पहली शुरूआत व्यक्ति को अपनी दिनचर्या को परिवर्तित कर अनुशाषित करना चाहिये। यदि दर्द गम्भीर है तो रोगी को तुरन्त आर्थोपेडिक चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिये।
कुछ आसनों द्वारा बहुत हद तक राहत पायी जा सकती है। उदाहरण के तौर पर,
- बाल आसन (शिशु आसन)
- नटराज आसन
- बीतली आसन (गौ मुद्रा)
- मार्जरिआसन (बिल्ली आसन)
- विपरीत कर्णी आसन
- उत्थिता त्रिकोण आसन
- शवावासन।
यह वे व्यायाम हैं जो गर्दन को तनाव मुक्त रखतें हैं व दर्द में राहत देतें हैं। परन्तु आवश्यक है कि ये नियमित रूप से किये जायें।
विटामिन व कैल्शियम हड्डियों को मजबूत करतें हैं इसलिये एेसे पदार्थों को भोजन में शामिल किया जाना चाहिये जिनमें इनकी मात्रा अधिक हो।
दर्द से तुरन्त राहत के लिये हॉट वाटर बैग से सिकाई की जा सकती है तथा एक्यूपन्चर भी दर्द से राहत में काफी सहायक है(परन्तु यह किसी जानकार की निगरानी में ही किया जाना चाहिये)।
क्योंकि तनाव भी इस दर्द का एक महत्वपूर्ण कारण है अतः पर्याप्त मात्रा में नींद लेना व दिमाग को तनाव मुक्त रखने से दर्द में आराम पाया जा सकता है।
दर्द के स्थान पर मसाज करना भी कारगर देखा गया है।
विटामिन डी की कमी भी इसका कारण है इसलिए विटामिन डी का सेवन लाभप्रद होगा।
स्टेरॉयड इंजेक्सन इस दर्द में काफी लाभप्रद है।यदि दर्द इन किसी भी तरीके से सही ना हो तो अंत में सर्जरी ही विकल्प है।
क्या ना करें:-
गर्दन के दर्द में आवश्यक उपचार का ध्यान में रखा जाना जरूरी है परन्तु यह भी ध्यान में रखना चाहिये कि क्या ना करें।
- जो व्यक्ति पीडा में है वह अपनी गर्दन को एक ही मुद्रा में ना रखे और समय समय पर गर्दन हिलाता रहे।
- क्योंकि दर्द का एक अहम् कारण तनाव भी है अतः अधिक तनाव नहीं लिया जाना चाहिये।
- यह आवश्यक है कि पीडित व्यक्ति कोई भारी सामान ना उठाए क्योकि गर्दन का दर्द अक्सर हड्डियों के कमजोर होने या हड्डी में लगी चोट के कारण भी हो सकता है और ऐसे मे भारी वस्तु उठाना दर्द को और भी बडा सकता है।(580)
- मोबाइल के अत्यधिक इस्तेमाल से बचना चाहिये।
- व्यायाम करना नहीं छोडना चाहिये।
- लेपटोप या कम्पूटर पर काम करतें समय गलत पोस्चर में ना बैठें। साथ ही, ज्यादा देर तक कुर्सी पर ना बैठें।
परेशीनी अधिक होने पर डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है नहीं तो यह समस्या गम्भीर रूप ले सकती है