Chronic pain Description In Hindi
क्रॉनिक पेन ऐसा पेन होता है जो किसी पुरानी चोट के बाद उभरता है। जब हमें कोई चोट लगती है तब हमारा दर्द ताजा होता है और जब धीरे-धीरे वह चोट ठीक होने लगती है तब दर्द भी धीरे-धीरे खत्म होने लगता है। लेकिन जब चोट के ठीक होने के बाद भी यह दर्द खत्म ना हो और समय-समय पर उभरने लगे तब वह क्रॉनिक पेन कहलाता है। कभी-कभी यह दर्द महीनों और सालों तक चलता रहता है। इस दर्द की तीव्रता कभी बहुत कम तो कभी बहुत ज्यादा हो सकती है। क्रॉनिक पेन के अलग-अलग प्रकार हो सकते हैं। यह दर्द शरीर के किसी भी हिस्से में उठ सकता है। लेकिन इसके मुख्य प्रकार सिर दर्द होना, ट्रामा के बाद का दर्द, कमर दर्द, गठिया दर्द, कैंसर मे होने वाला दर्द या किसी प्रकार की चोट लगने के बाद होने वाला दर्द।
कारण
क्रॉनिक पेन मुख्य रूप से किसी चोट के कारण शुरू होने वाला दर्द होता है। जब किसी चोट के द्वारा मांसपेशियां नष्ट हो जाती हैं उसके बाद यह पेन शुरू होने लगता है। शरीर के अंदर जब नसे खराब हो जाती है तब दर्द होता है और लंबे समय तक चलता है। ऐसे में सिर्फ दर्द को ठीक कर देना काफी नहीं होता है। लेकिन कुछ क्रॉनिक पेन ऐसे होते हैं जिनके पीछे कोई चोट नहीं होती, उनके पीछे के कारणों का अनुमान कुछ इस तरह लगाया जाता है-
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क्रॉनिक फॉटिग सिंड्रोम - यह दर्द तब होता है जब शरीर बहुत ज्यादा थक जाता है और शरीर में दर्द होने लगता है।
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फाइब्रोमायलिया - जब दर्द हड्डियों और मसल्स में होता है।
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एंडोमेट्रियोसिस - यह दर्द तब होता है जब यूटरिन यूट्रस से बाहर आने लगता है। यह एक दर्दनाक स्थिति होती है।
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इन्फ्लेमेटरी बॉवेल डिजीज - यह पाचन तंत्र में होने वाली क्रॉनिक इन्फ्लेमेशन बीमारी होती है।
लक्षण
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मांसपेशियों में दर्द होना।
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शरीर में खिंचाव महसूस होना।
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पुरानी चोट में रह-रहकर दर्द होना।
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शरीर में सुई चुभने जैसा महसूस होना।
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झुनझुनी आना।
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ठंड में या बारिश के समय अधिक तकलीफ महसूस होना।
उपचार
क्रॉनिक पेन को ठीक करने के लिए डॉक्टर का मुख्य उद्देश्य दर्द को कम करना होता है। जिससे कि रोगी अपने रोजमर्रा के कामों को ठीक तरह से कर सकें। दर्द की मात्रा रोगी में अलग-अलग होती है इसलिए उनके ठीक होने की संभावना भी उसी हिसाब से होती है। इसके अलावा डॉक्टर अपनी जीवनशैली में बदलाव करने की भी सलाह देते हैं। खानपान की आदतों में सुधार करके और व्यायाम को अपनी जीवनशैली में शामिल करके क्रॉनिक पेन से काफी हद तक बचा जा सकता है। इसके अलावा पेन किलर दवाएं लेकर भी इस दर्द को कम किया जा सकता है। दर्द निवारक दवाएं नॉन एस्टेरॉइड एंटी इन्फ्लेमेटरी दवाएं, एसिटामिनोफेन आदि का इस्तेमाल किया जा सकता है।
क्रॉनिक पेन की समस्या होने पर आप पेन फिजिशियन की सलाह ले सकते हैं साथ ही इसके कारण दिखने और निवारण के लिए भी अपने पेन फिजीशियन से ही सलाह लेना चाहिए। उनकी सलाह से ही आपको दवाइयों का सेवन करना चाहिए साथ ही एक्सरसाइज के बारे में भी आपको अपने पेन फिजीशियन से सलाह लेना चाहिए। मिनिमली इनवेसिव तकनीक भी एक ऐसा उपाय होता है जिसके द्वारा दर्द से राहत मिल सकती है। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने पेन फिजीशियन से सलाह लें।

































































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