Hip Joint Pain Radiofrequency Treatment (Coolief Technique) Hindi Description
कूल्हे के जोड़ में प्रवेश करने वाले obturator nerve और femoral nerve को टार्गेट करने और उनका इलाज करने के लिए कूलीफ तकनीक का उपयोग किया जाता है। कूलीफ रेडियो फ्रिकवेंसी अबक्यूरेटर और फेमोरल न्यूरोटोमी के लिए काॅनफिगर की गई latest technique है।
कूल्हे के जोड़ को supply करने वाली नसों की sensory supply का पर्क्यूटेनियस रेडियो फ्रिकवेंसी करके कूल्हे के जोड़ों के दर्द वाले रोगियों को दर्द से राहत दिलाई जा सकती है। यह तकनीक उन रोगियों को वैकल्पिक उपचार विकल्प प्रदान करती है जो कि सर्जरी नहीं करवाना चाहते हैं। कूल्हे के जोड़ की कूलीफ radio-frequency न्यूरोटोमी पुराने हिप ओस्टियोआर्थराइटिस और avascular necrosis के रोगियों के लिए सुरक्षित प्रभावी और न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया साबित होती है।
अधिक राहत प्रदान करने के लिए इस प्रक्रिया को मरीज पर दोहराया भी जा सकता है। इस प्रक्रिया का उपयोग करके पुराने से पुराने दर्द को भी दूर किया जा सकता है। यह प्रक्रिया एक आउटपेशेंट पर आधारित प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में सुई प्लेसमेंट की सटीकता को सुनिश्चित करने के लिए फ्लोरोस्कोपिक and sonography मार्गदर्शन के तहत किया जाता है।
रेडियो फ्रिकवेंसी तकनीक द्वारा उपचार एक से दो चरणीय प्रक्रिया होती है। पहले चरण में निदान किया जाता है जिसमें कूल्हे के जोड़ को supply करने वाली आर्टिकुलर शाखाओं के आसपास स्थानीय संवेदनाहारी इंजेक्शन शामिल है। डायग्नोस्टिक इंजेक्शन के बाद मरीजों को radio-frequency से उपचार की पेशकश की जाती है, जिसने कूल्हे के जोड़ से दर्दनाक आवेगो को ले जाने वाले आर्टिकुलर नसों के आसपास sensitise area बनाया जाता है। इस उपचार के बाद कई महीनों तक चलने वाले दर्द से राहत मिल सकती है।
इस उपचार को करने के लिए या तो पारंपरिक रेडियो फ्रिकवेंसी ट्रीटमेंट (70-80) डिग्री सेंटीग्रेड या कूल्ड radio-frequency ट्रीटमेंट (60) डिग्री सेंटीग्रेड का इस्तेमाल किया जा सकता है। कूल्ड रेडियो फ्रिकवेंसी पारंपरिक रेडियो फ्रिकवेंसी की तुलना में बड़ी मात्रा में गोलाकार area के निर्माण की अनुमति देता है।
एक रिसर्च में यह साबित हुआ है कि 45 वर्ष से अधिक आयु के अनुमानित 7% पुरुष और 10% महिलाएं पुराने कूल्हे के जोड़ों के दर्द से पीड़ित रहते हैं जो कि मुख्य रूप से चोट या बीमारी के कारण आर्टिकुलर कार्टिलेज क्षतिग्रस्त होने के कारण होता है। इसके लिए परंपरागत इलाज जैसे कि आराम, दर्द निवारक दवाएं या भौतिक चिकित्सा कूल्हे के पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस के दर्द को दूर करने में सफल नहीं हो पाते हैं।
जब इनमें से कोई भी इलाज कारगर साबित नहीं होता है तब एकमात्र इलाज बचता है जोकि कूल्हे की सर्जरी होती है। लेकिन हिप रिप्लेसमेंट इलाज काफी महंगा होता है और पुराने जोड़ों के दर्द के रोगियों कि इस हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी की इच्छा नहीं होती है।
जब यह कोई भी ट्रीटमेंट मरीज के लिए सही साबित नहीं होता है तब कूलीफ रेडियो फ्रिकवेंसी का प्रयोग करके हम मरीज को पुराने कूल्हे के दर्द से आराम दिलाते हैं। कूलीफ रेडियो फ्रीक्वेंसी तकनीक द्वारा मरीजों को काफी हद तक कूल्हे के दर्द से छुटकारा दिलाया गया है।
अध्ययनों से यह पता चला है कि जब ओस्टियोआर्थराइटिस के साथ अन्य जोड़ों पर इस तकनीक का इस्तेमाल किया गया तब मरीजों में यह सकारात्मक परिवर्तन देखे गए -
• मरीजों के शारीरिक कार्य में काफी सुधार देखा गया।
• मरीजों के दर्द और विकलांगता में इम्प्रूव्मेंट पाया गया ।
• नशीली दवाओं (पेन किलर)का उपयोग मरीजों द्वारा कम हो गया।
कूलीफ रेडियो फ्रिकवेंसी तकनीक के फायदे -
- यह एक मिनिमली इनवेसिव तकनीक है जिसमें radio-frequency का उपयोग करके दर्द पैदा करने वाली नसों को टार्गेट किया जाता है।
- इस तकनीक का उपयोग करके इलाज किए जाने पर मरीजों को कुछ महीने से सालों तक दर्द से राहत मिली है।
- इस उपचार में समय भी ज्यादा नहीं लगता है लगभग 20 से 30 मिनट के अंदर यह प्रक्रिया खत्म हो जाती है।
- जिसमें किसी चीर फाड़ की आवश्यकता नहीं होती है।
- मरीज उपचार के तुरंत बाद घर जा सकता है।
- इस तकनीक में दर्द या रक्त स्त्राव ही नहीं होता है।
- इस उपचार के बाद आप अपने सामान्य दिनचर्या में लौट सकते हैं।