Benefits of Minimally Invasive Surgery in Hindi
मिनिमली इनवेसिव सर्जरी क्या होता है?
मिनिमल इनवेसिव सर्जरी उस सर्जरी को कहते हैं जिसमें की शरीर पर बिना ज्यादा बड़ा घाव किए सर्जरी कर दी जाती है। मिनिमली इनवेसिव सर्जरी करने पर शरीर से खून का रिसाव कम होता है साथ ही ब्लड इंफेक्शन होने का खतरा भी नहीं रहता है। इस सर्जरी को करने पर मरीज को ऊपर से ब्लड चढ़ाने की भी जरूरत नहीं होती है। मिनिमली इनवेसिव सर्जरी को लेप्रोस्कोपी, कीहोल सर्जरी के नाम से भी जाना जाता है।
मिनिमली इनवेसिव सर्जरी का मतलब होता है न्यूनतम चीरा सर्जरी। जैसा कि इसका नाम ही दर्शा रहा है इस सर्जरी में न्यूनतम चीरा लगाकर सर्जरी की जाती है और यह चीरा भी बहुत छोटे होल होते हैं जिनके द्वारा कुछ तकनीकों का इस्तेमाल करके ऑपरेशन किया जाता है।
लेप्रोस्कोपी एक यंत्र होता है जिसके द्वारा अंजाम दी गई सर्जरी को लेप्रोस्कोपिक सर्जरी या मिनिमली इनवेसिव सर्जरी कहते हैं। लेप्रोस्कोपी यंत्र की मदद से पेट के अंदर की जांच की जाती है, जिसमें पेट पर एक छोटा सा चीरा लगाकर इस यंत्र को अंदर डाला जाता है जिस पर कैमरा लगा होता है। इस कैमरे की मदद से पेट के अंदर की स्थिति को स्क्रीन पर देखा जाता है। लेप्रोस्कोपी का प्रयोग करके अपेंडिक्स, अग्नाशय, छोटी आंत और बड़ी आंत, पित्ताशय, पेट और प्रजनन अंग की जांच की जाती है।
मिनिमली इनवेसिव सर्जरी कैसे की जाती है?
इस तकनीक में कुछ औजारों की मदद से शरीर में कम काट छांट के साथ सिर्फ कुछ होल कर के मरीज की तकलीफ को दूर किया जाता है। इस सर्जरी में सिर्फ 2 या 3 मिलीमीटर से सेंटीमीटर का चीरा लगाया जाता है इसलिए घाव जल्दी भर जाता है और दिखाई भी नहीं देता है।
मरीज के शरीर पर जिस हिस्से या अंग की सर्जरी की जानी है उसके आसपास कुछ कट लगाकर ही इस सर्जरी को आसानी से पूरा किया जाता है।
मिनिमली इनवेसिव सर्जरी जैसे कि लेप्रोस्कोपी के नाम से भी जाना जाता है मे नवीनतम तकनीकों का उपयोग किया जाता है। इस सर्जरी में एक परिष्कृत कैमरे का उपयोग किया जाता है जिसके द्वारा सर्जरी को अंजाम दिया जाता है। इस सर्जरी में लचीले ट्यूब जो कि लेप्रोस्कोपी या फिर एंडोस्कोप हो सकते हैं, छोटे कीहोल और विशेष उपकरण इस्तेमाल किए जाते हैं।
मिनिमली इनवेसिव सर्जरी के फायदे क्या है?
किसी भी ओपन सर्जरी की बजाय मिनिमली इनवेसिव सर्जरी करवाना ज्यादा फायदेमंद रहता है मिनिमली इनवेसिव सर्जरी कराने के बेनिफिट्स इस प्रकार हैं -
- छोटे चीरे - मिनिमली इनवेसिव सर्जरी में शरीर को कम घाव दिए जाते हैं। जो होल किए जाते हैं वह भी 2 से 3 मिलीमीटर से सेंटीमीटर के ही होते हैं जिन्हें भरने में ज्यादा समय नहीं लगता है। यह इस सर्जरी का सबसे बड़ा बेनिफिट है।
- कम दर्द - क्योंकि शरीर की चीर फाड़ अधिक नहीं होती है इसलिए शरीर को संक्रमण का खतरा भी कम होता है। और इसी वजह से दर्द भी कम होता है। चीर फाड़ के द्वारा शरीर में खतरनाक बैक्टीरिया प्रवेश कर जाते हैं, इस सर्जरी में इनके प्रवेश की संभावना ना के बराबर हो जाती है।
क्योंकि यह ओपन सर्जरी नहीं होती है बल्कि कुछ होल के साथ इस सर्जरी को किया जाता है इसमें सर्जरी में होने वाली जटिलताएं नहीं होती हैं।
- जल्दी रिकवरी - इस सर्जरी में छोटे-छोटे चीरे लगाए जाते हैं जिन्हें ठीक होने में अधिक समय नहीं लगता है और मरीज बहुत जल्दी ही अपनी सामान्य गतिविधियों में आ जाता है। ओपन सर्जरी होने पर मरीज को कम से कम 1 हफ्ते से 1 महीने का समय लगता है ठीक होने में लेकिन लेप्रोस्कोपी में ऐसा नहीं होता है।
- जल्दी डिस्चार्ज - इनवेसिव सर्जरी में अस्पताल में ज्यादा दिन तक रहने की भी आवश्यकता नहीं होती है। जहां सामान्य सर्जरी में मरीज को एक हफ्ते से 10 दिन अस्पताल में रहना पड़ता है मिनिमली इनवेसिव सर्जरी में सिर्फ 1 से 2 दिन में अस्पताल से डिस्चार्ज मिल जाता है।
- कम निशान - क्योंकि इस सर्जरी में छोटे-छोटे छेद किए जाते हैं इसलिए शरीर पर निशान भी ना के बराबर रहते हैं। मिनिमली इनवेसिव सर्जरी बहुत से रोगों में कारगर साबित होती है जैसे कि स्पाइन प्रॉब्लम, कैंसर, कार्डियक सर्जरी, स्टोन, स्टमक सर्जरी आदि।
मिनिमली इनवेसिव सर्जरी या लेप्रोस्कोपी एक नई और कारगर तकनीक है जिसकी मदद से कई रोगों का इलाज किया जा रहा है और यह सफल भी होता है। जो कि एक सामान्य सर्जरी होती है और इसके रिजल्ट भी अच्छे होते हैं। ज्यादातर मामलों में मिनिमली इनवेसिव सर्जरी करवाने के 24 घंटे के अंदर ही मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है। मरीज कुछ सावधानियों के साथ एक सामान्य दिनचर्या व्यतीत कर सकता है।

































































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